मोहन मुझे गुलाल बना दे
प्रतियोगिता हेतु रचना
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मोहन मुझे गुलाल बना दे
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मोहन मुझे गुलाल बना दे
गोरी को लाल गुलाब बना दे।
गोरी के गाल पे मैं लग जाऊं
गोरी के गालों को चमका दे।।
उसकी भाव भंगिमा को मैं
चेहरे से उसके मैं पढ़ पाऊं।
फिर गोरी के कोमल हाथों से
धीरे धीरे मैं पोंछा जाऊं।।
यदि गुलाल बन गया प्रभू
तो भाग्य मेरा जग जाएगा।
सात जन्म का पाप मेरा
होली में सब जल जाएगा।।
यदि गुलाल ना बना सको तो
पक्का रंग बना देना।
गोरी के सुन्दर कोमल तन में
प्यार से प्रभु चपका देना।।
रंग छुड़ाने में गोरी को
समय बहुत लग जाएगा।
तब तक मुझको हे मोहन
गोरी का साथ मिल जाएगा।।
कृपा करो प्यारे गिरधर
होली में तुम घर आ जाना।
राधा को अपने साथ में ला
बंशी भी मधुर बजा जाना।।
ये होली का पर्व प्रभु
तुम बिन सूना लगता है।
राधा, कान्हा का साथ मिले
पथिक भी तब तर सकता है।।
विद्या शंकर अवस्थी पथिक कानपुर
Gunjan Kamal
10-Apr-2024 02:16 PM
बहुत खूब
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Varsha_Upadhyay
29-Mar-2024 11:41 PM
Nice
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Abhinav ji
29-Mar-2024 08:21 AM
Very nice👍
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